अनंत आयामों से भरे जीवन में मुख्यतः तीन आयामों के बीच घूमती है जिंदगी ..…..शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक…हर पक्ष,अपने आप में मजबूत शिखर को छूता हुआ, परंतु विचारों में, हर पल,क्रमबद्ध रूप से जुड़े तार… अग्रसर हैं नए आयामों की तरफ ….ना जाने कितनी धाराओं से,सागर की लहरों से और लहरों से बूंदों के एक- एक क्रम में विलीन हो जाते हैं,वह पल जो अतीत के पन्नों से भविष्य की ओर जुड़ जाते हैं।
वर्तमान की परिस्थितियां क्रमशः आगे की तरफ न जुड़कर,एक क्रम से जुड़ जाती है। विशेष वह नहीं कि हर आयाम आगे की ओर ही अग्रसर हो,बल्कि तीन आयामों के बीच घूमता है मानव का चरित्र, जो हर पल उस चतुर्थ आयाम की खोज में डूबता उतराता है, खुद की इच्छा से खुद को जोड़ना चाहता है, इसी क्रम से जुड़े तार, जीवन को उस शिखर के अंत तक ले जाते हैं….जहां होता है हमारा अस्तित्व, एक -एक क्रम में, जिसे हम अपनी पहचान बना कर याचना करते हैं उस चतुर्थ आयाम की… कि इसी क्रम की कड़ी में तीन आयामो से हमारी चेतना, चतुर्थ आयाम को साक्षी बनाकर पंचम आयाम का स्वागत करती है ।
सभी कुछ आगे की ओर बढ़ रहा हैं…. गतिशीलता है, गतिज ऊर्जा के संरक्षण में कार्य कर रहा है, जीवन का ब्रह्मांडीय उद्देश्य भी हमें इसी क्रम के तार से जोड़ता है, जीवन के हर पहलू को क्रम से क्रम का जोड़ क्रमशः (आगे की ओर) ले जाता है जो मानव की चेतना को हर एक परिस्थिति को स्वीकार्य की अवस्था से लाकर यह सिखाने को प्रयासरत है कि क्रमशः अभी आगे और …….. जब- जब मानव की संवेदना आहत हुई परिस्थितियां अनुकूल हुई।
आयामों ने सिखाया,अभी आगे और…… विपरीत परिस्थितियां हो या सकारात्मक परिस्थितियां…. इसी क्रम में हर पल जीवन को नई ऊर्जा के साथ जीना चाहिए, नई उमंग, नई उर्जा ,नया कार्य हर पल एक-एक एहसास, भूतकाल के साथ व्यतीत होता हुआ और कहता है क्रमशः (आगे की ओर) अभी और है….इससे भी आगे… बस इसी क्रम में आगे बढ़ो और अपने लक्ष्य के विपरीत नहीं जाना, बल्कि उसी क्रम में बढ़ते और बढ़ते जाना है,अनंत आयामों की ऊर्जा के साथ खुद की चेतना से जुड़कर हर पल….. क्रमशः नित नवीनता के साथ।